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रासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती
विकारयुक्त प्रेम से भी भगवत्प्राप्ति सम्भव है
सर्वमय भगवद्भाव तो इष्ट-दर्शन के अनुकूल नहीं है, उसके लिए तो एक में ईश्वर बुद्धि होनी चाहिए, सर्व में कैसे होगी? नारायण! तो बोले बाबा कृष्ण के बारे में शंका मत करो-
योगेश्वरेश्वरे कृष्णे यत एतद् विमुच्यते- अरे ये योगेश्वश्वर कृष्ण हैं, मामूली योगी भी शक्तिपात करे तो भगवत्-प्राप्ति में जो प्रतिबंधक है उसको मिट देता है और योगेश्वर शंकर जी स्वयं प्रसन्न हो जायँ तो कहना ही क्या। सनकादिक योगी प्रसन्न हो जायँ तो ईश्वर को मिला दें, नारदादि प्रसन्न हो जायें तो मिला दें, शिवजी प्रसन्न हो जायँ तो ईश्वर को मिला दें, नारदादि प्रसन्न हो जायें तो मिला दें, शिवजी प्रसन्न हो जाएँ तो मिला दें। और ये कृष्ण तो योगेश्वर उनके भी स्वामी हैं, वे स्वय सबको खींचने के लिए आये हैं। अरे! उनके पाँव के नीचे जो तिनका पड़ गया, उसको भी भगवत्प्राप्ति हो गयी। जिस पेड़ पर उन्होंने हाथ रख दिया उसको भी भगवत्प्राप्ति हो गयी- यत् एतत् विमुच्यते। जो धूलिकण उनके पाँव के नीचे आ गया, उसका स्पर्श जिसको मिला, उसकी मुक्ति हो गयी। और राजा परीक्षित तुम्हें गोपी के संबंध में संदेह है?
अब शुकदेवजी महाराज कथा आगे बढ़ाते हैं- कृष्ण ने देखा कि गोपियाँ आ गयीं- ताः दृष्ट्वान्तिकमायाताः भगवान व्रजयोषिताः भगवान ने तो खड़े होकर जरा कमर टेढ़ी की, घुटना टेढ़ा किया, चिबुक टेढ़ी की और बाँसूरी लेकर बजाना शुरु किया और देखा कि ये महाराज झुण्ड की झुण्ड चली आ रही हैं-
किंभूत किमाकार- किसी की आँख में काजल एक में है, एक में नहीं, किसी के पाँव में कपड़ा, किसी में नहीं, किसी ने घाघरा ठीक पहना है, किसी ने नहीं, किसी के शरीर पर ओढ़नी है, किसी के नहीं, किसी के कान में एक ही कुण्डल है। बोले- यह पागलों का झुंड कहीं से आ रहा है? और महाराज। आयीं तो दूर खड़ी हो जाती परंतु वे तो खड़ी ही नहीं हुईं, इनसे चिपकी जायँ, चिपकी जायँ- तां दृष्ट्वान्तिकमायाताः बिना छुए माने नहीं।
दृष्ट्वान्तिकमायाता भगवान व्रजयोषितः ।
भगवान ने कहा-सुनो बाबा। उन्होंने सोचा बाँसुरी बजाने से काम नहीं चलेगा, अब इनसे बात करनी पड़ेगी। अब अपने मुँह की आवाज से काम बनेगा, बाँसुरी की आवाज से परम्परया काम नहीं चलेगा। आचार्य का काम पूरा हो गया है। अब भगवान का काम है। बुलाकर ले आना, यह आचार्यजी का काम है उनके पास पहुँच जाने पर आचार्य बाँसुरी का काम खत्म।
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