गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 374/1

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 13

‘कामं क्रोधं भयं स्नेहं, ऐक्यं सौहृदमेव च।
नित्यं हरौ विदधतो यान्ति तन्मयतां हि ते।।’ [1]

क्रोध से भजने वाला शिशुपाल को, भय से भजनेवाले कंस को, काम से भजने वाली कुब्जा रानी को भी उसी परात्पर परब्रह्म परमेश्वर की प्राप्ति हुई।

‘नृणां निःश्रेयसर्याय व्यक्तिर्भगवतो नृप। अव्ययस्याप्रमेयस्य निर्गुणस्य गुणात्मनः।।’[2]

अर्थात्, विवेकशून्य, धर्मशून्य प्राकृत प्राणी जन-साधारण के अशेष कल्याण हेतु ही निर्गुण, गुणात्मा, परात्पर, परब्रह्म, पूर्णतम, पुरुषोत्तम प्रभु ही श्रीकृष्ण-चन्द्रगस्वरूप में अभिव्यक्त हो गए। भक्त के लिए भगवान्नाम साधन नहीं अपितु साध्य है। भक्तप्रवर हनुमान जी राघवेन्द्र रामचन्द्र भगवान् से यही वरदान माँगते हैं “हे प्रभो! यावच्चन्द्रदिवाकरौ, जब तक सूर्य-चन्द्रमा की स्थिति है तब तक हम आपके मंगलमय नामामृत का पान करते रहें।” जैसे पित्त-रोगी को गुण में मिठास नहीं होता, वैसे ही संसार-रत प्राणी को भगन्नाम में भी फलानुभूत नहीं होता तथापि यदि जीव प्रयास-पूर्वक भगवन्नाम जपता रहे तो अन्ततोगत्वा उसके सम्पूर्ण पाप-ताप का शमन हो जायगा। फलतः उसको भगवन्नाम का रसास्वादन होने लगेगा जैसे, रोग-विनिर्मुक्त प्राणी को स्वभावतः गुड़ की मिठास का अनुभव होने लगता है। भगवन्नाम एवं भगवत्-स्वरूप में साधनरूपता भी है, साध्यरूपता भी है।

भगवान् श्रीकृष्ण का विग्रह सांगोपांग फलस्वरूप है तथापि भगवदीय हस्ता-रविन्द्र एवं पादारविन्द में साधनस्वरूपता भी है। दुष्ट-दमन-हेतु अग्रसर होने पर भगवत्-पदारविन्द एवं हस्तारविन्दों में साधनस्वरूपता तथा भक्तानुग्रहार्थ प्रवृत्त होने पर साध्यरूपता अनुभूत होती है; भगवात्–हस्तारविन्द एवं पादारविंद का अपने मस्तक एवं उरस्थल में विन्यास ही भक्त की तीव्रोत्कण्ठा है। भगवत् मुखारविन्द विशुद्ध फल, केवलमात्र साध्यस्वरूप है। सांगोपांग सम्पूर्ण श्रीविग्रह ही ध्यान का विषय है परन्तु जैसे-जैसे बुद्धि सूक्ष्म होती जाती है, मन एकाग्र होता जाता है, चिन्तन-विषय भी सीमित होता जाता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (श्री0 भा0 10/29/15)
  2. (श्री0 भा0 10/29/14)

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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