गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 350

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 12

जैसे क्रिया-विशेषण ‘वीरयति वीरः, विविधमीरयति वीरः’ इसी तरह विविधतया नीलयति, किंवा नितरां नीलयति इति नीलः ‘इस प्रसंगानुसार ही आनन शब्द का अर्थ है, ‘आ ईषदपि न न यस्मिन् तत् आननम्’ इसमें याञ्चा अस्वीकार का किंचिन्मात्र भी लक्षण नहीं है अतः यावत् आकांक्षा की पूर्ति निश्चय ही होगी; जहाँ प्राप्ति की सम्भावना होती है वहीं आशा वँधती है; मधुर, मनोहर, मंगलमय भगवद्-मुखारविन्द के यांचा-अस्वीकाराभाव-लक्षण स्वभाव-दर्शन से भक्त के हृदय में आशा उत्पन्न होती है कि भगवान् भक्त-वांछा- कल्पद्रुम है; इस आशाबन्ध के आधार पर ही भगवत-सम्मिलन की उत्कंठ जागरूक होती हैः तात्पर्य कि भगवत-मुखारविन्द दर्शन से ही आशाबंध एवं उत्कट उत्कण्ठा-दोनों की ही अभिवृद्धि होती है।

अन्य भाव ‘विविधं ईरयति’ विविध प्रकार की प्रेरणा देते हैं; इस प्रसंगानुसार ‘आनन’ पद का अर्थ है ‘आ समन्तात् न यस्मिन्’ जिस मुख में सर्वतोमुखी अस्वीकार लक्षण ही प्राधान्य है; तात्पर्य कि प्रभु बड़े निष्ठुर एवं रूक्ष हैं। भगवत-मुखारविन्द में भक्त की आशा-कल्पलता अभिवर्द्धन एवं सम्मिलन की उत्कट उत्कंठा को जाग्रत करने वाले अकारण-कारुण्य-करुणा-वरुणालयत्व, यांचा, अस्वीकार-लक्षण-स्वभाव भी स्पष्टतः अभिव्यक्त है, साथ ही, निष्ठुरता एवं रूक्षता भी अभिव्यक्त है। तात्पर्य की प्राणीमात्र के जीवन में आशा एवं निराशा के झंझवात चलते रहते हैं। वेद भी कहते हैं, ‘तदूदूरे’ भगवान् बहुत दूर हैं; जन्म-जन्मान्तर, युग-युगान्तर पर्यन्त तप करते रहने पर भी उनके कानों पर जू भी नहीं रेंगती; भगवान् दूरागम हैं। महाभारत में द्वित-त्रित नामक महर्षियों की कथा इसका ज्वलन्त उदाहरण है। महर्षियों को अहंकार था कि हम यज्ञ द्वारा भगवद्दर्शन करा देंगे; यज्ञ सम्पन्न हुआ परन्तु भगवद्दर्शन सम्भव नहीं हुआ; महर्षिगण पुनः कठिन तपस्या में रत हुए। युग-युगान्तर पर्यन्त तप करने पर उनको आदेश हुआ, ‘महर्षि तुम श्वेत द्वीप जाओ, वहीं तुमको पुनः आदेश प्राप्त होगें।

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
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