गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 344

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 12

गोपागनाएँ कहती हैं-

“गोप्यः किमाचरदयं कुशलं स्म वेणु र्दामोदराधरसुधामपि गोपिकानाम्।
भुङ्क्ते स्वयं यदवशिष्टरसं हदिन्यो हृष्यत्त्वचो श्रुमुमुचुस्तरवो यथार्थाः।”[1]

हे सखि! यह वेणु हमारे मदन-मोहन, श्याम-सुन्दर के अधरामृत को भोगता है। वेणु का उच्छिष्ट रस ही वेणु-छिद्रों से नाद रूप में प्रवाहित होता है ‘जिसका पान कर वृन्दावन के सरोवर एवं सरसियाँ भी रोमांच कण्टकित हो जाते हैं; सरोवर एवं सरसियों में खिले हुए कमल-कमलिनी, कुमुद-कुमुदिनी ही उनकी रोमांचोद्गति है। हे सखि! यह वेणु तो जड़ है अतः ‘दर्वी पाकरसं यथा’ भगवत्-अधरामृत रसास्वादन में असमर्थ है। इस वेणु रूप चषक के माध्यम से गोपाङपाएँ ही भगवत्-अधरामृत का आस्वादन कर रही हैं। भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र का अधरामृत ही वेणु-छिद्रों में निक्षिप्त हो वेणु-पीयूष रूप से गोपाङनाओं के निवारण कर्ण-कुहरों द्वारा उनके अन्तःकरण में प्रविष्ट होता है। लौकिक रसों का आस्वादन करने में केवल भोक्ता ही समर्थ है परन्तु भगवदीय सम्पूर्ण सौन्दर्य-माधुर्य सौरसय रस की गति विलक्षण है; इस अद्भुत रस के कथंचित् आस्वादन से ही ब्रह्मादि देव शिरोमणि गण भी अपने आप को कृतार्थ मानते हैं।

इन्द्रिय रूप पान-पात्र के माध्यम से तत्-तत् इन्द्रिय के अधिष्ठातृ देवता ही रस के यथार्थ भोक्ता हैं। उदाहरणतः नेत्रों द्वारा भगवत्-सौन्दर्य-माधुर्य का आस्वादन किए जाने पर नेत्रों के अधिष्ठातृ देवता आदित्य ही उस भगवदीय सौन्दर्य-माधुर्य-रस का आस्वादन करते हैं। पाँच ज्ञानेन्द्रिय, पाँच कर्मेन्द्रिय एवं बुद्धि इन एकादश इन्द्रियों के अभिमानी देवता भी भिन्न-भिन्न हैं; बुद्धि के अभिमानी देवता ब्रह्मा, रसना के अभिमानी देवता वरुण, घ्राण के अभिमानी देवता अश्विनीकुमार, श्रौत्र के अभिमानी देवता दिक्देव, पाद के अभिमानी देवता विष्णु आदि हैं। कहीं-कहीं मन, चित्त एवं अहंकार की भी गणना कर देहाभिमान देवताओं की संख्या चतुर्दश भी मानी गई है।
रसिक एवं अन्तर्मुखी प्रवृत्तियों द्वारा ही भगवत्-कथामृत-माधुर्य बोधगम्य है। साथ ही भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र के लोकालीत, उदात्त-स्तरीय स्वरूप का ज्ञान भी अनिवार्य है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री भा0, 10/21/9

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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