गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 32

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 1

यमुना-जलावगाहन से देह का प्राकृत्व बाधित हो जाता है साथ ही अलौकिकता, रसात्मकता एवं भगवत्-स्वरूप-प्राप्त्यर्थ-योग्यता आविर्भूत होती है। प्रसिद्ध है कि अन्यान्य तीर्थ-स्थलों में जन्म-जन्मान्तर तपस्या करने पर भगवद्-भक्ति दुर्लभ ही रहती है परन्तु मथुरा-पुरी में एक रात्रि पर्यन्त निवास मात्र से ही हृदय में भक्ति का बीज जम जाता है जो समय पाकर वृद्धिगत होकर पल्लवित, पुष्पित एवं फलित हो जाता है। गोपाङ्‌गनाएँ कह रही हैं कि ‘श्यामसुन्दर! व्रजधाम के संसर्ग, आवास मात्र से ही भगवद्-दर्शन एवं प्राप्ति सुलभ हो जाती है तथापि हम अनुरागिणी एवं प्रेयसी व्रज-वनिताएँ आपके दर्शन से भी वंचित हैं, हे मदनमोहन! क्या यह दीपक तले अंधेरा नहीं है? क्या यह सर्वथा अनुचित नहीं है?’

‘जयति ते अधिक’ जैसी उक्ति का यह तात्पर्य भी हो सकता है कि व्रजस्थ-प्राणी की जय सदा-सर्वदा ही होती है, तथापि अब आपके आविर्भाव के कारण व्रजधाम-निवासी विशेष उत्कर्ष को प्राप्त हो रहे हैं, क्योंकि-

न वासुदेवभक्तानामशुभं विद्यते क्वचित्।
जन्ममृत्युजराव्याधिभयं नैवोपजायते।।[1]

अर्थात, वासुदेव के भक्तों का अशुभ कदापि नहीं होता; उनमें जन्म, जरा, व्याधि, भय एवं मृत्यु आदि दोष कदापि संभव नहीं होते।

न क्रोधो न च मात्सयं न लोभो नाशुभा मतिः।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां पुरुषोत्तमे।।[2]

अर्थात्, भगवान् पुरुषोत्तम के भक्तों में क्रोध, लोभ, मोह, मात्सर्य आदि दोष अथवा अन्य किसी प्रकार का कोई भी अशुभ कदापि नहीं आ सकता।

लाभस्तेषां, जयस्तेषां, कुतस्तेषां पराजयः।
येषां इन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः।।[3]

अर्थात जिनके हृदय में इन्दीवर श्यामसुन्दर विराजमान हैं उनकी सदा जय होती है; वे सदा ही लाभान्वित होते हैं; उनका पराभव कदापि संभव नहीं। व्रजवासी स्वभावतः ही भक्त है, इन्दीवर श्यामसुन्दर उनके व्रजस्थ, हृदयस्थ हैं अतः उनकी पराजय, उनका पराभव कभी संभव नहीं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, अनुशासन पर्व, 149। 131
  2. म0 भ0 13। 149। 33
  3. गरुड़पुराण 1। 222। 13

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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