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गीता प्रबोधनी -स्वामी रामसुखदास
ग्यारहवाँ अध्याय
लेलिह्यसे ग्रसमान: समन्ताल्लोकान्समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भि: । व्याख्या- भगवान के ऐश्वर्य युक्त उग्ररूप को देखकर अर्जुन इतने घबरा जाते हैं कि अपने ही सखा श्रीकृष्ण से पूछ बैठते हैं कि आप कौन हैं! |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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