श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्रीहरिराम व्यास (सं. 1549-1655)
कहनी करनी करि गयौ एक व्यास इहि काल। 'भक्त नामावली' के रचना-काल के सम्बन्ध में विद्वानों में मत भेद है। 'भक्त नामावली के अंतिम नाम 'भक्त नरा-यण' का है जो 'भक्तमाल' के कर्त्ता नारायणदास जी उर्फ नाभा जी हैं। भक्त नरायन भक्त सब, धरै हिये द्दढ़ प्रीति। नाभा जी का नाम बिलकुल अंत में देखकर यह अनुमान होता है कि 'भक्तमाल की रचना के थोड़े दिन बाद ही 'भक्त नामावली' की रचना हुई है। 'भक्तमाल का क्षेत्र बहुत विस्तृत हैं। इसमें नाभा जी ने प्रागैतिहासिक काल के भक्तों से लेकर अपने समय तक के प्राय: सभी प्रकार के भक्तों का वर्णन किया है। इसमें अनेक कृष्णोपासक भक्तों का भी परिचय दिया हुआ है किन्तु उनकी संख्या कम है। ध्रुवदास जी ने कृष्णोपासक रसिक भक्तों का परिचय देने के लिये ही 'भक्त नामावली की रचना की है। ऊपर उद्धृत 'भक्त नरायन' वाले दोहे के बाद ही यह दोहा मिलता है- रसिक भक्त भूतल घने लघु मति क्यों कहें जाहि। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भक्त नामावली
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