श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्रीहरिराम व्यास (सं. 1549-1655)
विद्वानों ने नाभा जी की भक्तमाल का रचना-काल संवत 1650 के लगभग माना है, अत: भक्त नामावली की रचना इसके बाद के दस वर्षो में सं. 1660 के आस-पास हो गई होगी। 'भक्त नामावली' में जिन रसिक भक्तों का उल्लेख है उनमें से अनेक का सं. 1660 के पूर्व निधन हो चुका था और कुछ भक्तगण उस समय जीवित भी थे। श्री वियोगी हरि ने लिखा है कि भक्त नामावली में सं. 1725 तक के भक्तों का वर्णन मिलता है। पता नहीं यह बात उन्होंने किस आधार पर लिखी है। यदि केवल राधावल्लभीय रसिक भक्तों को ही लें तो 'भक्त नामावली' में उन्ही के नाम मिलते हैं जो सं. 1660 के पूर्व प्रख्यात हो चुके थे। सत्रहवीं शती के उत्तरार्ध में प्रसिद्ध होने वाले रसिकों का उल्लेख उसमें नहीं है। 'भक्त नामावली' हिताचार्य के पुत्रों के परिचय तक ही सीमित रहती है, उनके पौत्रों प्रपौत्रों श्री दामोदर चन्द्र गोस्वामी सत्रहवीं शताब्दी के अंतिम दशको में खूब प्रसिद्ध हो चुके थे। इसी प्रकार दामोदर स्वामी, कल्याण पुजारी जैसे प्रसिद्ध वाणीकारों का उल्लेख 'भक्त नामावली' में नहीं है। यह दोनों महानुभाव सत्रहवीं शताब्दी के अंत तक प्रख्यात हो चुके थे। 'भक्त नामावली' के रचना-काल को देखते हुए व्यास जी का निकुंज-गमन सम्वत 1655 के लगभग ही ठहरता है। 'भक्त कवि व्यास जी' में व्यास जी के एक पद के आधार पर उनका निकुंज-गमन-काल से. 1665 के बाद में सिद्ध करने का परिश्रम पूर्ण प्रयास किया गया है। पद यह है- अब सांचो ही कलियुग आयो। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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