गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अवतरणिका
पुरुवंशी कौरवों की वंशावली
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सूर्यवंशी राजा का प्रथम पुरखा अयोध्या का राजा
- ↑ बुध की पत्नी तथा पुरूरवा की माता
- ↑ ययाति राजा के 'देवयानी' व 'शर्मिष्ठाः' नाम की दो रानियाँ थीं। देवयानी शुक्र की पुत्री थी। इससे 'यदु व तुर्वसु' दो पुत्र हुए, यदु से यादव वंश चला। शर्मिष्ठा राजा वृषपर्वा की कन्या थी। इससे द्रुह्यु, मनु और पुरु नाम के तीन पुत्र उत्पन्न हुए, इस पुरु से पौरव वंश चला।
- ↑ राजा अहंजाति ने कृतवर्मा की कन्या 'भानुमति' से विवाह किया, जिससे सार्वभौम नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ।
- ↑ राजा जयतसेन से सातवीं पीढ़ी में 'ऋक्ष' नाम का राजा हुआ, जिसने तक्षक की पुत्री 'ज्वाला' से विवाह किया, जिससे मतिनार नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ।
- ↑ राजर्षि विश्वामित्र द्वारा मेनका नाम की अप्सरा के क्षेत्र से उत्पादित तथा कण्व मुनि द्वारा परिपालित शकुन्तला नाम की कन्या से राजा दुष्यन्त ने गन्धर्व विवाह किया था, जिससे भरत नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ। भरत बड़ा ही पराक्रमी सार्वभौम राजा हुआ। उसी के नाम से भारतवर्ष 'भरतखण्ड' कहलाता है।
- ↑ राजा हस्ती ने अपने नाम से हस्तिनापुर नाम का नगर बसाया था। यही हस्तिनापुर दुर्योधनादि कौरवों की राजधानी थी, जहाँ वर्तमान दिल्ली नगर बसा हुआ है।
- ↑ राजा संवरण ने सूर्य की पुत्री तपती से विवाह किया, जिससे “कुरु” नाम का प्रख्यात राजा उत्पन्न हुआ। इसी कुरु के नाम से कुरु वंश चला और सूर्य की पुत्री तपती का वंश होने के कारण इस वंश के राजा सूर्यवंशी कहलाये।
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