गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय-13
क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ-विभाग-योग
क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ-विभाग-योग
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पंचभूतात्मक पिण्ड शरीर
- ↑ स्थूल पिण्ड शरीर जो श्लोक 5 व 6 में वर्णित 31 तत्त्वों से बनता है
- ↑ “क्षेत्रज्ञ” को जानने वाले उसे “क्षेत्रज्ञ” कहते हैं
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