श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
सिद्धान्त
युगल-केलि (प्रेम-विहार)
नवल-नवल सुख-चैन-ऐन आपुने आपु बस। अद्भुत विहार को पंचशर कामदेव ने किसी प्रकार देख लिया और उनके बाण उलट कर उसी के लग गये और उसका सारा शरीर जर्जरित हो गया। महा अनंग मोहित और लज्जित हो गया और उस दिन से अपना सिर ऊँचा नहीं उठाता। पंचबान जेहि पानि है देखि गयौ यह रंग। बिबस भयो सुधि रही न कछु, मोह्यौ महा अनंग। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भजनाष्टक
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