विषय सूची
श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
अष्टमं शतकम्
मंजरी द्वारा विचित्र रेशमी वस्त्र से कुंचित उनका गुल्फदेश रंजित हो रहा है, तथा उरु युगल सुन्दर स्वर्ण-कदली के स्तम्भवत सुस्निग्ध एवं उज्ज्वल हैं।।10।।
उनके जानुबिम्ब की महा शोभा है, दिव्य मृणालवत उनकी जंघा हैं, चरण-कमलों से वह चराचर को सम्यक प्रकार से मोहित कर रही हैं।।11।।
मनोहर चरणों की धरन से महामोहन को भी मोहित कर रही हैं, एवं कांचीकलाप तथा शब्दायमान स्वर्ण नूपुरों से शोभित हो रही हैं।।12।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज