विषय सूची
श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
पञ्चदश शतकम्
श्रीवृन्दावन के कुंजों में पुष्प-शय्या पर श्रीवृन्दावनाधीश्वरी के साथ निरन्तर जो कामरंग का मधुर विलास कर रहे हैं, श्रीवृन्दावन में ही एक मात्र प्रकाशित हो रहे हैं, श्री वृन्दारण्य के पुष्पों से रचित मालाओं के वेश द्वारा सुसज्जित हैं, वे श्रीवृन्दावन नागर मुझे श्रीवृन्दावन के प्रति विशुद्धा प्रीति प्रदान करें।।1।।
श्री वृन्दारण्य में अपने हाथों से रचित आश्चर्यमय सुन्दर पुष्पवाटिका में नाना प्रकार के पुष्पों से अद्भुत भाव से बनाये हुए सुन्दर मण्डप में कोमल कमलदलों से अति सुन्दर भावों से आच्छादित करके स्वयं जो सुन्दर पथ निर्माण किया है, उस पथ पर श्रीराधा को शीघ्र ही अभिसार कराकर क्रीड़ा परायण जो श्रीकृष्ण हैं वह आपकी रक्षा करें।।2।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज