विषय सूचीरासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीप्रथम रासक्रीड़ा का उपक्रमयदि प्रेम को वस्तु से नापोगे-तौलोगे कि आज उनके यहाँ से कितनी भेंट आयी, कि आज कितनी देर उन्होंने पाँव दबाया, तो प्रेम वस्तु से, क्रिया से तौला नहीं जाता। और जबानी जमाखर्च से भी प्रेम तौला नहीं जाता। प्रेम है हृदय की वस्तु और वह जहाँ आता है वहाँ भला अपने प्यारे को देखकर आँख में उदासी रह सकती है? अपने प्यारे को देखकर रोम-रोम खिल उठता है, कण-कण फुदकने लगते हैं, एक-एक संकल्प, एक-एक वृत्ति, नृत्य करने लगती हैं, नृत्य करना नहीं पड़ता है, प्रेम की चाल का नाम नृत्य है। नृत्य कहाँ से निकला है? प्रेमी के पाँव में- से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यह संगीत, यह कविता कहाँ से निकली है? प्रेमी की जीभ में- से संगीत और कविता की उत्पत्ति हुई है। प्रेम हृदय की वस्तु है, हाथ को यही चलाता है, पाँव को यही चलाता है। आँख को यही चलाता है। प्रेम हो और प्रियतम को देखकर चेहरे पर उत्फुल्लता न आवे, मनहूसी छायी रह जाय, उदासी छायी रह जाय, सम्भव नहीं। प्रियतम के सामने जाकर तुम उदास होगे तो वह भी उदास हो जायेगा। नारायण! प्रियेक्षणोत्फुल्लमुखीभिः- बोले- भाई। गोपियाँ खुश हो गयी क्योंकि- श्रीकृष्ण भी तो कुछ ‘उदारचेष्टितः’ हो गये न। उनकी चेष्टा में उदारता आयी। उदारता तो आ गयी, लेकिन वे अच्युत हैं इसलिए काम के वश में नहीं है। अच्युत शब्द का यहाँ अर्थ है- काम के वश में न होना। अज्ञानी स्वरूप से च्युत हो जाता है और परमात्मा स्वरूप से च्युत नहीं होता। आम जब पकाता है तो पेड़ में-से टपक पड़ता है, उसको बोलते हैं- च्युत हो गया। और श्रीकृष्ण कैसे हैं कि ये अपने स्थान पर रहते हुए संपूर्ण भोगक्रिया में इनका आनन्द अच्युत है। संपूर्ण वृत्तियों के उत्थान और समाधि में इनका चेतन अच्युत है। समस्त आकृतियों, प्रकृतियों और विकृतियों-क्रिया-विक्रिया में इनकी सत्ता अच्युत है। यह मत कहो कि अपने सच्चिदानन्दघन स्वरूप को छोड़कर श्रीकृष्ण संसारी हो गये। अरे भाई। उनको संसारी बनाने का सामर्थ्य किसी माया-छाया में नहीं है-उदारहासद्विजकुन्ददीधितिर्व्यरोचतैणांक इवोडुभिर्वृतिः । उदारहास- उनके हास में उदारता है। उदारता का अर्थ क्या है? एक बार की बात है- वृन्दावन में एक माता आती थीं, बाहर से, वृद्ध थीं। वे श्रीउड़ियाबाबाजी महाराज के पास आती थीं, श्रद्धा करती थीं, प्रेम करती थीं, एक दिन उनके पास कोई साधु आये और एकान्त में उनका और माताजी का कुछ संवाद हुआ। यह बाद में पता चला कि अमुक व्यक्ति के साथ ऐसा उनका संवाद हुआ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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