योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 88

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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सत्रहवाँ अध्याय
राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका


पुनः सहदेव कहने लगा, "यदि इस सभा में कोई पुरुष द्वेषवश कृष्ण के तेज और मान को सहन नहीं कर सकता तो उसके सिर पर मेरा पैर है। यदि वह वीर है तो मैदान में आवे, नहीं तो सबको उचित है कि भीष्म के निर्णय को स्वीकार करें।" निदान ऐसा ही हुआ। पर जब पाण्डवों ने कृष्ण को भेंट चढ़ाई तो शिशुपाल फिर भीष्म और कृष्ण को बेतुकी बातें सुनाने लगा, जिसका अंत इस प्रकार हुआ कि दोनों दलों में विवाद आरम्भ हो गया। एक ओर पाण्डव पक्ष वाले कृष्ण की स्तुति करते थे और दूसरी ओर शिशुपाल उनके अवगुणों का वर्णन करता था।

सारांश यह कि इस प्रकार कुछ समय तक विवाद चलता रहा। बिचारा युधिष्ठिर दुखित हो दोनों पक्षों को संबोधित कर रहा था, पर उसकी कोई सुनता ही नहीं था। निदान उसने भीष्म से कहा कि पितामह! इस झगड़े को अब आप ही शान्त कीजिए। भीष्म ने उत्तर दिया कि जब शिशुपाल और उसके पक्ष वाले समझने से भी नहीं मानते तो फिर इसके अतिरिक्त और क्या हो सकता है यदि उनमें से कोई अपने आपको कृष्ण से अधिक शक्तिशाली समझे तो वह उनसे युद्ध करे और परिणाम देख ले। आप ही निर्णय हो जाएगा कि कृष्ण इस मान के योग्य हैं या नहीं।

अब शिशुपाल ने जी खोलकर कृष्ण और भीष्म को गालियाँ दीं और अन्ततः बोला, "अच्छा, यदि कृष्ण वीर है तो मेरे साथ युद्ध करे।" युद्ध में कृष्ण की जय हुई और शिशुपाल मारा गया। शिशुपाल के सारे पक्षपाती अपना-सा मुँह लेकर रह गये। महाराज युधिष्ठिर ने पहले शिशुपाल का दाह-संस्कार किया फिर उसके पुत्र का राजतिलक करके राजसूय यज्ञ रचाया। यज्ञ की समाप्ति पर जब सब अतिथि विदा हो चुके तो कृष्ण भी युधिष्ठिर और द्रौपदी की आज्ञा से द्वारिका लौट आये।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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