गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 434

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 16

गोपिका एकदम सकपका गई, लजा गई; इतने में ही बालकृष्ण दौड़ते हुए आए; दर्शन पाकर गोपिका कृतकृत्य हो गई, धन्य-धन्य हो गई। एक बहुत प्रसिद्ध पद हैः-

‘कोई श्याम मनोहर ल्योरी, सिर धरी मटकिया डोले।
दधि को नाव बिसर गई, ग्वालन हरि ल्यो हरि ल्यो बोले।
कृष्ण रूप छकी है ग्वालन और ही बोले।’

गोप-बालाओं की भावतन्मयता के साथ ही साथ उनके कर्तव्य-बोध की भावनाओं को उजागर करना ही ऐसे प्रसंगों का एकमात्र तात्पर्य है; प्रेम-विह्वलतावश क्षणे-क्षणे विस्मृति होती है। तथापि वे स्वधर्म-पालन का भी प्रयास करती हैं। यथार्थतः जो स्वधर्म पालन में रत है वही भगवत्-अभिगमन का अधिकारी भी है-

‘दंहन्त्योऽभिययुः काश्चिद् दोहं हित्वा समुत्सुकाः।
पयोऽधिश्रित्य संयावमनुद्वास्यापरा ययुः।’
‘परिवेषयन्त्यस्तद्वित्वा पाययन्त्यः शिशून पयः।
शुश्रूषन्त्यः पतीन् काश्चिदश्नन्त्योऽपास्य भोजनम्।।’[1]

अर्थात अपने-अपने जाति, कुल, वर्ण, एवं आश्रमधर्मानुसार किए गए कर्म भगवदभिगमन के हेतु हैं; तात्पर्य कि स्वधर्म के पालक को ही भगवदभिगमन होता है। शास्त्राज्ञानुसार, वर्ण-धर्मानुसार, श्रौत-स्मार्त्त कर्म एवं लोक-वेद-मर्यादाओं का याथातथ्येन पालन ही निस्सन्देह कर्तव्य हैं। कर्तव्य-पालन से भगवदभिगमन होता है; भगवत्-तन्मयता से सम्पूर्ण कर्म में अस्तव्यस्तता आने लगती है। भगवान् श्रीकृष्ण का वेणु-वादन अनादि-अनन्त है; तथापि निरन्तर प्रवाहित इस पीयूष का संग्रह किसी अतिशय भाग्यवान् द्वारा ही सम्भव हो सकता है।

जिस महाभागी ने इस निरन्तर प्रवाहित वेणु-नाद का श्रवण कर लिया वह निश्चय ही क्रमशः सर्वस्व का त्यागकर भगवत्-चरणों में लिप्त हो जाता है। उदाहरणतः भादों मास की अधिक वृष्टि के कारण किसी नदी में बाढ़ आ जाने पर उसका बाँध टूट जाय; बाँध टूटने पर जो वेगवती धारा प्रवाहित होगी उसमें पड़े हुए व्यक्ति को थाम लेना सर्वथा अशक्य है; इस प्रवाह में नाव-नाविक सब बहने लगते हैं; तीर पर खडे़ व्यक्ति लाख प्रयास करें, लाख उपदेश दें, सब निष्फल हो जाता है। प्रयास निवृत्ति में ही होता है, भगवत-प्रेमविषयिणी प्रवृत्ति स्वतः उद्बुद्ध है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री मद्भा० 10/29/5–6

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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