गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 425

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 16

प्रभु, भर्ता, निवास, शरण्य आदि सम्पूर्ण भाव अनन्यगति के ही अवान्तर भेद हैं; गति ही सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। ‘एको गतिस्त्वम्‘ एक तुम ही हमारी गति हो; ‘त्वद्वाक्यं स्ववाक्यं न जानाति‘ आप तक अपने भावों को पहुँचाने के लिए हमको चकोर की भाँति अग्नि-भक्षण भी नहीं करना होगा क्योंकि आप सर्वाधिष्ठान, सर्वान्तर्यामी हैं। हे अच्युत! ‘बालानां रोदनं बलं‘ जैसे रोना ही बालक का बल है वैसे ही सर्वस्व का त्यागकर आपके शरण हो जाना, आश्रित हो जाना ही हमारा कर्तव्य है; और कुछ न करते हुए आपके मंगलमय चरणारविन्दों का समाश्रयण ही हमारा एक मात्र कर्तव्य है। ऐसी निर्विचेष्टता ही अत्यन्त दुर्लभ है।

‘यदा पंचावतिष्ठंते ज्ञाननि मनसा सह।
बुद्धिश्च न विचेष्टति तामाहुः परमांगतिम्।।[1]

सम्पूर्ण कर्मेन्द्रियाँ, ज्ञानेनिद्रयाँ, मन, अध्यवसायात्मिका बुद्धि निर्विचेष्ट हो जाय यही परमगति है। भगवान् के सगुण-साकार विग्रह का ‘सुस्मितं भावयेन्मुखं‘[2] का चिन्तन करते-करते अन्ततोगत्वा ‘न किंचिदपि चिंतयेत्‘ सम्पूर्ण चिंतन का ही बाध हो जाय यही सर्वतोऽधिक पुरुषार्थ है। जैसे, सामान्यतः धावन-व्यापार धावक-परतंत्र है, धावन-व्यापार पुरुष-प्रयास जन्य है, पुरुषकर्ता है।

‘क्रियायां स्वातन्त्रयेण विवक्षितोऽर्थः कर्ता स्यात्।‘

जो स्वेतर सकल कारकों का प्रयोजक हो परन्तु स्वयं दूसरों से अप्रयोज्य हो वही कर्ता है। धावक कर्ता का प्रयास हो ‘धावति‘ क्रिया है। धावन्-गति में विशेष वृद्धि होने पर धावक-कर्ता स्वयं उस गति के वशीभूत हो जाता है। इसी तरह चिन्तन-क्रिया चिन्तक-परतन्त्र है तथापि चिन्तन-गति का वेग बढ़ जाने पर चिन्तन-कर्ता ही चिन्तन-विवश हो जाता है। यही ʺत्वदेकगतित्व’ है।
गोपांगनाएँ कह रही हैं’ हे अच्युतǃ आप सर्वज्ञ है। हम समूल सर्वस्व त्यागकर आपकी शरण आई हैं; शरणागत प्राणी कदापि त्याज्य नहीं होता। अतः गतिविदǃ हम पर अनुग्रह करें।‘ 'गतिविदः’ पद का 'गतिविदो वयमपि 'गतिविदो वयं आगताः' अर्थ भी लग जाता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कठोपनिषत 2/3/10
  2. श्री० भा० 11/14/43

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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