गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 422

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 16

‘अन्वयान् सम्बन्धिनः बान्धवान् अति विलंग्ध्य' अति लंघ्य तथा विशेषतः, अलंघ्य बन्धु-बान्धवों के स्नेह का परित्याग किया, साथ ही’धर्मादि की भी अपेक्षा नहीं की; तात्पर्य कि सर्वतोभावेन समूल सर्वस्व का परित्याग कर दिया, मानों संन्यास ले लिया। जैसे संन्यास ले लेने पर पुनः ग्रहस्थाश्रम में लौट जाने की कल्पना भी नहीं होती है। वैसे ही हम लोगों के लिये भी घर लौट जाना असम्भव ही है। जो गोपांगनाएँ पति आदिकों के द्वारा अपनें घरों में ही अवरूद्ध कर लिये जाने पर ध्यानस्थ हो अपने भौतिक शरीर का त्यागकर दिव्य-देह धारण कर भगवत्-सन्निधान में जा पहुँची थीं उन सौभाग्यशालिनी व्रजसीमन्तिनी-जनों के लिए पुनः घर लौट जाने की कल्पना भी सम्भव नहीं। अन्य कुछ गोपांगनाएँ अपने घरों को लौट भी गयीं। प्रहरचतुष्टयवती एक रात्रि में अगणित ब्राह्यों-रात्रियों का सन्निवेश करके महती रात्रि में रासलीला हुई।

‘नासूयन् खलु कृष्णाय मोहितास्तस्य मायया।
मन्यमानाः स्वपाश्र्वस्थान् स्वान् स्वान् दारान् व्रजौकसः।।‘[1]

अर्थात, उन गोपांगनाएँ का दिव्य-स्वरूप तो आनन्दकन्द श्रीकृष्णचन्द्र के सन्निधान में था परन्तु मायामय स्वरूप तत् गोप के सन्निधान में भी था; अपनीं-अपनीं दाराओं को अपने सन्निधि में पाकर गोपजनों को किसी प्रकार का भ्रम भी नहीं हुआ। वस्तुतः गोपांगनाएँ श्रीकृष्णचन्द्र को परम अन्तरंगा शक्ति-स्वरूप ही हैं; कुछ गोपांगनाएँ रासेश्वरी, नित्य-निकुज्जेश्वरी को रश्मि-रूपा हैं। यथार्थ में इन व्रजांगना-जनों का अपने वास्तविक स्परूप से कोई ऐसा अभेद विचित्र सम्बन्ध था जिसकी उनको स्पष्टतः प्रतीति होती थी। भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र के विषय में भी यह स्पष्टतः कहा गया है कि उनका तेजोमय प्रकाशमय परबह्मस्वरूप व्रजधाम में सदा-सर्वदा विराजमान रहता है, ‘वृन्दावन परित्यज्य पादमेकं न गच्छति‘ जबकि मथुरानाथस्वरूप रथारूढ़ हो मथुरा पधारें, ‘मथुरा भगवान् यत्र नित्यं सन्निहतो हरिः‘ [2] व्यवहारतः भी गोधन-हरण के अवसर पर इन सबका विवाह तत् तत् गोप-कुमारस्वरूप भगवान् श्रीकृष्ण के साथ ही हुआ था,

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री मद् भा० 10/33/38
  2. श्री0 भा0 10/1/28

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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