गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 368

Prev.png

गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 13

तैत्तिरीय श्रुति है- ‘को ह्येवान्यात् कः प्राण्यात् यदेष आकाशं आनन्दो न स्यात्’[1]। अर्थात् भगवत्-विप्रयोग-जन्य तीव्र-ताप-दग्ध प्राणी क्यों-कर प्राण धारण कर सकता, क्योंकर चेष्टा कर सकता, यदि परमानन्दघन आकाश आनन्द, अपरिच्छिन्न आनन्दस्वरूप परमानन्दघन ही प्राणिमात्र के हृदय में अधिष्ठित हो उसका आप्यायन एवं रक्षण करते हैं; अधिष्ठानभूत परमत्व के आधार पर ही प्राण एवं अपान का रक्षण एवं आप्यायन होता है। पूर्व-प्रसंग में प्राणापान की गति-सम्बन्धी विस्तृत चर्चा की जा चुकी है। मान्य है कि भगवान श्रीकृष्णचन्द्र, वृन्दावन का त्याग कदापि नहीं करते।

‘वृन्दावनं परित्यज्य पादमेकं न गच्छति।’

पूर्व-प्रसंग में बताया जा चुका है कि लोकदृयट्या भगवान् श्रीकृष्ण अक्रूर के साथ मथुरापुरी पधारे तथापि उनका पूर्वतम पुरुषोत्तमस्वरूप वृन्दावन में ही प्रतिष्ठित रहा। इसी तरह गोपाङनाएँ भी अन्तःकरणस्थित सर्वाधिष्ठानभूत भगवत्-स्वरूप का अनुभव करती हुई भी बाह्यतः भी श्रीकृष्णचन्द्र-चरणार विन्द-संस्पर्श की स्पष्टानुभूति की कामना से विफल हैं।

‘स बाह्याभ्यन्तरो ह्यजः।’[2]

सर्वाधिष्ठानभूत, सर्वान्तर्यामी के मंगलमय विग्रह का, अंग-प्रत्यंग का निरन्तर ध्यान एवं पूजन ही भक्त की कामना है। भक्त ‘स बाह्याभ्यन्तरो ह्यजः’ का ही रसिक है। भगवान् योगमायासमावृत हैं।

‘नाहं पंकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः।’[3]

शंकराचार्यजी कहते हैं, ‘भगवान् परिभू हैं; परिभवति इति परिभूः परितः चतुर्दिक्षु भवति इति परिभूः’ जो सर्वव्याप्त है वही ‘परिभू’ है ‘यस्य उपरिभवति यश्च उपरिभवति स सर्वः स्वयमेव भवति इति स्वयंभूः’ अर्थात्, जो सर्वव्याप्त सर्वत्र-व्याप्त और जहाँ जिस पर व्याप्त है वह सम्पूर्णतः स्वयं ही उद्बुद्ध है, स्वयंभू है।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तै0 2/7
  2. मुण्डको0 2/1/2
  3. श्री0 भ0 गी0 7/25

संबंधित लेख

गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः