गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 356

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 12

‘बबन्ध प्राकृतं यथा[1] नन्दरानी ने अपने बालक पुत्र कृष्ण को वैसे ही बाँध लिया जैसे कोई लौकिक कल्याणमयी, स्नेहमयी अम्बा अपने पुत्र को बाँध देती है। ‘प्राकृतं यथा’ वचन से ‘प्राकृतं यथा न तु प्राकृतम्’ प्राकृत न होते हुए भी प्राकृत-तुल्य, प्राकृतवत् भाव विवक्षित है। भगवान के अन्य अवतार, जैसे वराह अथवा नृसिंह रूप में विलक्षणता के कारण रागानुगाप्रीति सम्भव नहीं होती; ईश्वर-बुद्धि से ही उनकी उपासना की जा सकती है। स्वारसिक प्रीति समान में ही सम्भव है; यही कारण है कि राम एवं कृष्णावतार में प्रीति सम्भव है।

रामावतार में भी ऐश्वर्य के कारण कुछ हिचक बनी ही रहती परन्तु भगवान श्रीकृष्ण स्वयं गोपाल रूप धारण किए हुए हैं; अन्य ग्वाल- मण्डली की तरह वे भी गोचारण करते हुए गो-घन के पीछे-पीछे भटक रहे हैं; उनकी भी अलकावलि इतस्ततः बिखरी हृई है; मुख-कमल धूलि-धूसरित हो रहा है; जैसे दिव्य अलौकिक चिन्तामणि से धूलि-समावृत हो जाने पर भी विशिष्ट प्रभा प्रस्फुटित होती रहती है, वैसे ही, अनन्त-कोटि-कन्दर्प-दर्प-दमन-पटीयान् भगवान श्रीकृष्ण के मधुर, मनोहर, मंगलमय मुखचन्द्र से लोकोत्तर आभा प्रभा प्रसारित होती रहती है एतावता उनकी दिव्यता भी सदा ही अभिव्यक्त रहती है। इस पूर्णतः सादृश्य स्वरूप के गोप सीमन्तनी जनों को स्वभावतः ही प्रगाढ़ ममता होती है;

‘दर्शयन् मुहुः’ बारम्बार दर्शन देकर बालकृष्ण अपने प्रति गोपाङनाओं की प्रीति को उकसाते रहते हैं। अधिकाधिक सौन्दर्य एवं ऐश्वर्यपूर्ण होते हुए भी अपने से निरपेक्ष में प्रीति प्रेरित नहीं होती। उदाहरणतः शुकदेवजी की कथा है। परमज्ञानी-शिरोमणि शुकदेवजी समाधिस्थ थेः व्यासजी के शिष्यों ने उनको श्लोक सुनाया-

“बर्हापीडं नटवरवपुः कर्णयो: कर्णिकारं,
बिभ्रद् वासः कनककपिशं वैजयन्तीं च मालाम्।
रन्ध्रान् वेणोरधरसुधया पूरयन् गोपवृन्दै-
र्वृन्दारण्यं स्वपदरमणं प्राविशद् गीतकीर्तिः।।”[2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री भा0, 1। 9। 14
  2. श्रीमद् भागवत्, 10/21/5

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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