गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 357

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 12

अर्थात अनन्त सौन्दर्य-माधुर्यपूर्ण स्वच्छन्द वृन्दावन-धाम को अपने मंगलमय पादारविन्द के चिह्न के अंकित करने वाले मोर-मुकुट धारण किए, नट और वर के समान मनोरंजक तथा आकर्षक श्रृंगार किए, वैजयन्तीमाला पहने, कानों में कर्णिकार पहने, गोपवृन्द के संग, वेणु को अधर-सुधा से पूरित करते हुए, श्रीवृन्दारण्य धाम में पधारे। इस श्लोक में भगवान् के संप्रयोगात्मक-विप्र-योगात्मक उभयविध एक कालावन्छेदेन उद्वेलित श्रृंगार-रस-सार-सर्वस्व स्वरूप का ही वर्णन किया गया है।

‘नटवरपुः’ नटवत् वरवच्च वपुर्यस्य’ अर्थात नटवत् वरवत् है शरीर जिसका, वह नटवरवपुः। ‘नट’ पद से विप्र-योगात्मक-श्रृंगार परिलक्षित है क्योंकि अपने अभिनय द्वारा नट वस्तु के अभाव में उसकी अभिव्यंजना करता है। ‘वर’ पद का अर्थ है दूल्हा; वर प्रत्याग्-भोक्ता है; प्रत्यग-भोक्ता वर संप्रयोगात्मक-श्रृंगार-रस का प्रतिनिधित्व करता है; अस्तु संप्रयोगात्मक- विप्रयोगात्मक उभयविध एककालावच्छेदेन उद्वेलित श्रृंगार-रस-सार-सर्वस्व स्वरूप है जिसका वह ‘नटवरवपुः’ है ‘सकल-विरुद्ध घर्माश्रयत्वात् भगवत’ भगवान् सकल विरुद्ध धर्मों के आश्रय हैं; ‘महतो महीयान् अणोरणी-यान’ महत् से भी महत् साथ ही अणु से भी अणु हैं।

रसिक हृदय पर ही रस का प्रभाव होता है; ‘सवासनानां सभ्यानां जो सभ्य हैं सवासन हैं; उन्हीं में रसाभिव्यक्ति संभव है; निर्वासनिक वेदान्ती तथा मीमांसक एवं वैयाकरण के हृदय में वैसी रसाभिव्यक्ति सम्भव ही नहीं होती।

“ब्रीड़ा विलोडयति लुंचति धैर्यमार्य-
भीर्तिभिनप्ति परिलुम्पति चित्तवृत्तिम्।
नामैव यस्य कलितं श्रवणोपकण्ठे
दृष्टः स किं न कुरतां सखि मद्विधानाम्।।”

एक अत्यन्त रसमयी कथा है; किसी दिन विलाप करते-करते राधा रानी को मूर्छा आने लगी; सखियाँ उपचार करने हेतु प्रयास करने लगीं; राधारानी ने कहा सखियो! हमारा पातिव्रत भंग हो गया है, हम अशुद्ध हो गयी हैं अतः आप लोग हमें न छुएँ।’

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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