गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 333

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 11

निरावरण ब्रह्म स्वरूप श्रीकृष्णचन्द्र के मंगलमय मुखचन्द्र की सुमधुर-अधर सुधा ही वेणु-नाद-पीयूष रूप में सम्पूर्ण वृन्दावन धाम के पशु पक्षी, सरोवर द्रुम लता दूर्वादि सम्पूर्ण रमण-सामग्रियों में ब्रह्मरूपता उद्बुद्ध हुई; बह्मस्पता आत्मा रूपता प्रादुर्भूत होने पर तत् तत् स्वरूप में तत्र-तत्र स्थित भक्त जन एवं देवगणों को निरावरण ब्रह्म संस्पर्श स्वरूप आनन्दकन्द, परमानन्द भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र के निरावरण चरणारविन्दों का संस्पर्श जैसे दुर्लभातिदुर्लभ सौभाग्यातिशय प्राप्त हुआ।

‘चलिस यद् व्रजाच्चारयन् पशून् नलिनसुन्दरं नाथ ते पदम्’

पद का विश्लेषण करते हुए श्री बल्लभाचार्य जी भी भगवान् श्रीकृणचन्द्र की गोपकुमार गोपाल स्वरूप में वृन्दाटवी में गोचारण लीला का मूल हेतु भक्तानुग्रह ही मानते हैं। इस पद का एक भाव और भी है। गोपाङनाएँ श्रुतिरूपा हैं; श्रुतियों का परब्रह्म से अन्यतम सम्बन्ध है ‘गिरा अर्थ जल वीचि सम कहियत भिन्न न भिन्न’ वाणी एवं अर्थ किंवा समुद्र एवं उसकी तरंग की तरह परब्रह्म एवं श्रुतियों का आसाधारण सम्बन्ध हैं। प्रलयकाल की समस्ति पर भगवाऩ् पुनः प्रबोधोन्मुख होते हैं; भगवान् के पुनः प्रबोद्योन्मुख होने पर श्रुतियाँ भगवद्-स्तुति करती हैं। लोक व्यावहारतः जैसे रात्रि के अवसान पर प्रातः काल में राजाधिराज चक्रवर्ती नरेश के पुनः प्रबोधोन्मुख होने पर बन्दीगण उनकी स्तुति करते हैं वैसे ही अनन्तकोटि ब्रह्माण्ड नायक अखिलेश्वर, अद्वितीय प्रभु भी जब अपनी योगनिन्द्रा को त्यागकर प्रबोधोन्मुख होते हैं, तब श्रुतियों की महाधिष्ठात्री शक्तियाँ साक्षात् होकर प्रभु का गुणगान करती हैं।

‘अस्यमहतो भूतस्यनिः श्वसितमेतद्यदृग्देदों यजुर्वेदः सामवेदो घर्वागिरस’ योगनिद्रा को त्यागकर भगवान् के जागरणोन्मुख होने पर भगवतनिःश्वास से ही यह अत्यन्त विधाओं का उद्गम-स्थान ‘अपास्त समस्त पुन्दोषशंकाकलंक’ अपौरूषेय मन्त्र ब्राह्मणात्मक वेदो-राशि प्रस्फुटित हो जाती है। वेदों की ऋचाएँ ही मूर्तिमती होकर भगवद्-स्तुति करती है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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