गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 327

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 11

‘गोपालाजिरकर्दमे विहरसे विप्राघ्वरे लज्जसे,
दास्यं गोकुलपुंश्चलीषु कुरुषे स्वाम्यन्ज दान्तात्मसु।

अर्थात, हे गोपाल! तुम गोपजनों के आंगन की कीच में तो खेलते रहते हो, परन्तु ऋषि-महर्षियों द्वारा यज्ञ-अनुष्ठानादि हेतु निर्मित दिव्य मण्डपों में जाते हुए संकोच, लज्जा का अनुभव करते हो। हे व्रजेन्द्रनन्दन! तुम गोकुल गाँव की पुंश्चली युवतियों की दो दासता करते हो, परन्तु शान्त, दान्त, ब्रह्मविद् विरष्ठजनों को स्वामित्व ही करते हो। गाय-बछ़डों की हुंकार पर तत्काल बोल पड़ते हो परन्तु योगीन्द्र मुनीन्द्र जनों द्वारा विधिवत् की गई अनेकानेक स्तुतियों को सुनकर भी मौन ही रह जाते हो। हे श्रीकृष्ण! आपकी ऐसी विचित्र रस-वैदग्ध्यमयी माया को हम लोग नहीं समझ पाते हैं। एक कथा है; एक दिन नन्दरानी ने अपने बालक पुत्र श्रीकृष्ण को नहला-धुलाकर दिव्य अंगरागादि लेपन कर उत्तमोत्तम वस्त्रभूषणों से सुसज्जित किया; अम्मा की आँखों के ओट होते ही बालकृष्ण पुनः आंगन की बीच में खेलते हुए, कीचड़ से सन गये। खीझ कर नन्दरानी कह उठीं-

‘त्वं शूकरोसि गत जन्मनि पूतनारे।’

हे पूतनारे! ‘तू विगत जन्म में अवश्य ही शूकर रहा होगा।’ बाल कृष्ण हँसने लगे, बोले ‘अम्मा! तू ठीक ही तो कहती है।’
वेदान्ती लोग कर्मकाण्डियों को ‘देवानां-प्रियः’ कहते हैं। प्राचीन काल से ही ‘देवानां प्रिय’ उक्ति मूर्ख के अर्थ में प्रयुक्त होती रही है। इतिहास के आधुनिक पण्डितों के मतानुसार सम्राट् अशोक के राज्यकाल के पश्चात् ही इस उक्ति का प्रयोग ‘मूर्ख’ के अर्थ में किया जाने लगा है। सम्राट्-अशोक की प्रशस्ति में खुदाये गये शिलालेखों पर सम्राट् अशोक को ‘देवानां प्रिय’ कहा गया है। सम्राट् अशोक ने जीवन के उत्तर काल में बौर्द्ध धर्म को स्वीकार कर लिया था; अतः जब बौद्धों का विरोध होने लगा तो सम्राट अशोक का विशेषण ‘देवानां प्रिय’ पद ही मूर्ख अर्थ प्रतीक बन गया। हमारी प्राचीन परम्परा के आधार पर यह अर्वाचीन मान्यता निराधार सिद्ध हो जाती है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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