गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 314

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 10

अनन्त, अखण्ड निर्विकार परात्पर परब्रह्म प्रभु श्रीकृष्ण के स्वरूप संयोग सुख तदन्तर उनका वियोग गोपांगनाओं को प्रत्यक्षतः प्राप्त हुआ; यही प्रकट लीला है। इस प्रकट लीला के आधार पर ही पूर्वानुराग द्वारा विश्व-विस्मरण पूर्वक भगवान् में अनुरक्ति, भगवद् स्वरूप में मन का अवरोध तदनन्तर संयोग-सुख द्वारा सर्वांगीण भगवद्-सम्मिलन सुख का अनुभव और उसके बाद विप्रयोगजन्य संताप का अनुभव अनिवार्य है।

संयोग सुख में वस्तु का अनुभव होता है, अनुभव से स्पृहा होती है, स्पृहा से निरंतर अबाध चिन्तन होता है; यह अबाध, अखण्ड चिन्तन ही आन्तरण-रमण है। अतः वेणुगीत के द्वारा पूर्वानुराग, रासलीला के द्वारा सम्प्रयोग-श्रृंगार-सुखानुभूति तथा गोपी गीत द्वारा विप्रयोग की अनुभूति मान्य है।
गोपांगनाएँ कह रही हैं-

‘भजतोऽनु भजन्त्येक एक एतद्विपर्यम्।
नोभयांश्च भजंत्येक एतन्नोब्रूहि साधु भोः।।’[1]

हे प्रिय! कोई तो अपने को भजने वाले को ही भजता है, कोई न भजने वाले को भी भजता है और कोई भवन करने वाले को भी नहीं भजता। भजने वाले को भी न भजने वाता कृतघ्न, गुरुघ्न होता है। हे सखे! हम तो लोक-वेद-मर्यादा एवं सर्वस्व का त्यागकर आपके सन्निधान में वन-प्रान्तर में भी चली आई हैं परन्तु आप हम अनुरागिणीजनों को त्याग कर अन्तर्धान हो रहे हैं, अतः हे प्रिय! हम आपकी गणना किस श्रेणी में करें? व्यापक का सिद्धान्त है कि- ‘ये यथा मां प्रपद्यन्ते तास्तथैव भजाम्यहम्’[2] भागवत में एक उदाहरण प्राप्त है। कुरुक्षेत्र की युद्धस्थली में युद्ध-विश्राम कालांतर्गत महाराज युधिष्ठिर श्रीकृष्ण के डेरे में गए; वहाँ पहुँचने पर महाराज युधिष्ठिर ने देखा कि भगवान श्रीकृष्ण गद्गद् कण्ठ एवं अश्रुपूरित नयन हो किसी के ध्यान में मग्न हैं; स्वभावतः महाराज युधिष्ठिर आश्चर्यचकित हुए।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री भा. 10/32/16
  2. श्री भा. गी. 4/11

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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