गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 286

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 8

अर्थात, जो मेरे दिव्य मंगलमय पवित्र चरित्रों का दिव्य गुण-गुणों का एवं मधुर-मनोहर-मंगलमयी मूर्ति का निरंतर श्रवण, मननं एवं चिन्तन करते हैं, परस्पर अन्योन्य सम्बोधन करते है-

‘तेषामेवानुकंपार्थ महमज्ञानजं तमः।
नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदोपेन भास्वता।।’[1]

उनके अनुकम्पार्थ उनके हृदय में स्वतः मैं ही ज्ञान-दीप को प्रज्वलित कर आत्मस्वरूप का सुस्पष्ट प्रकाशन कर देता हूँ। अनायास अन्वय व्यतिरेक आदि युक्तियों से नाना प्रकार के प्रयास के बिना ही निजानुग्रहवशात् स्व-स्वरूप का पूर्ण प्राकट्य कर देता हूँ। गोस्वामी तुलसीदासजी भी कहते हैः-

‘सोई जानइ जेहि देहु जनाई। जानन तुम्हहि तुम्हहिं होई जाई ।।’[2]

‘श्रीमद्भागवत’ के एकादश स्कन्ध में भगवान् के निराकार, निर्विकार, निर्गुण रूप का वर्णन अनेक स्थलों पर हुआ है। ‘तत्रोपाय सहस्राणामयं भगवतोदितः’[3] निर्गुण, निर्विकार, निराकार, परात्पर प्रभु को जानने के लिए चित्त की एकाग्रता अत्यन्त आवश्यक है; चांचल्य-युक्त चित्त से वस्तु-तल को समझाना असम्भव है; चित्त की एकाग्रता के अनेकानेक उपाय शास्त्रों में कहे गये हैं। तथापि भगवद्ध्यानरूप उपाय का भगवान् ने स्वमुख से निरूपण किया है। अतः भगवद्ध्यान ही साध्य भी हैं; जो लोग भगवद्ध्यान को साधन-रूप से अपनाते हैं उनको बीच में ही वह ध्यान छोड़ना पड़ जाता है। ‘तच्चत्यक्तवा मदारोहो न किंचिदपि चिंतयेत्।[4] भगवद्-भक्त के लिये भगवद्-ध्यान साधन नहीं अपितु साध्य ही है अतः कभी त्याज्य नहीं होता। भगवान् कपिलदेव ने देवहूति को निर्गुण निर्विकार, निराकार, ब्रह्म का उपदेश देते हुए भी सगुण, साकार, सच्चिदानन्द-घन भगवान् का ध्यान करने का ही आदेश दिया। भगवान् कपिलदेव द्वारा कथित भगवान् का नख-शिख ध्यान लगभग 19-20 श्लाकों में है, जिनका प्रथम श्लोक निम्नांकित है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रीम0 भा0 गी0 10/11
  2. मानस, अयोध्या 126/3
  3. श्रीम0भा0 7। 7।29
  4. श्रीम0भा0 11/14/44

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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