गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 281

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 8

अपने पुष्करेक्षण से, शीतल-अमल-कमल-दल तुल्य विशाल नेत्रों से निहार कर हमारे ताप का शमन करें तथा अपने अधर-सीधु से हमारे संताप का उपशमन करें। हे श्याम सुन्दर! हम आपकी विधिकरी, किंकरी, दासी हैं, अतः निजानु-ग्रहवशात् हमारी याचना की पूर्ति करें; ‘मधुरया गिरा वल्गु वाक्यथा’ द्वारा हृदयाहादन, अमल-कमल-दल-तुल्य विशालाक्षों द्वारा निहार कर हृत्ताप उपशमन एवं अधर-सीधु दान द्वारा हमारी मूर्च्छा का अपनयन ही हमारी याच्त्रा है। हे सखे! आपकी इस मधुरया गिरा वल्गुवाक्य, पुष्करेक्षण एवं अधर-सीधु के प्रतिदान में हम सर्वथा असमर्थ हैं अतः हम आपकी दासी, विधि करिश्मा बन जाती हैं। हम अपने अन्तःकरण अन्तरात्मा को जन्म-जन्मान्तर युग-युगान्तर कल्प-कल्पान्तर पर्यन्त आपके श्री चरणों में अर्पित करती हैं। इतने पर भी तो आपके अनुग्रह से हम उऋण नहीं हो सकेंगी। हे सखे! आप दानवीर हैं। प्रत्युपकार निरपेक्ष हैं अतः सद्वैद्य के तुल्य आप ही हम पर अनुग्रह करें। मानिनी नायिकाएँ ‘मधुरया गिरा वल्गु वाक्यया, पुष्करेक्षण एव अधर सीधुना प्यायस्वनः’ जैसी उक्तियों द्वारा अपने प्रति भगवान् श्रीकृष्ण की आतुरता की ही कल्पना करती हैं वे कहती हैं, हे श्याम-सुन्दर! यद्यपि आपने हमारा अपकार ही किया है तथापि हम तो आपका अपकार ही करेंगी क्योंकि अपकार-कर्ता का भी उपकार करना ही सज्जनों का कर्तव्य है।

‘कठोरा भव वा मृद्वी प्राणीस्त्वमति राधिके।
गतिर्नान्या चकोरस्य चन्द्रलेखां विना यथा।’

अर्थात, हे राधिके! तुम कठोर हो जाओ अथवा मृदु ही रहो, तुम ही मेरी प्राण हो; जैसे चकोर की चन्द्र से अन्य और कोई गति नहीं, वैसे ही, मेरी भी तुमहारे सिवा अन्य कोई गति नहीं है। श्मशान-भूमि की राख धारण करने वाले तरुणेन्दु शेखर भगवान् शंकर कदाचित् मेरी देह की राख को भी अपने ललाट पर लगा लें तो प्रियतम सम्मिलन हो जावेगा यही अग्निभक्षी चकोर पक्षी की एकमात्र आकांक्ष है।

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क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
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