गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 238

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 6

एक कथा है; वृषभानु-कुमार, राधारानी का एक क्रीड़ा शुक था। राधारानी के मुख-पद्म निःसृत कोई एक श्लोक शुक को कंठस्थ था। एक दिन उड़ते-उड़ते वह क्रीड़ा-शुक नन्दराय के अलिंद पर बैठ कर उस श्लोक को ही बोलने लगा। उस श्लोक को सुनकर मुग्ध हुए श्रीकृष्ण कहने लगे ‘महाप्राज्ञ पक्षिन् आगच्छ स्वागतन्ते।’ हे महाप्राज्ञ पक्षी आओ मेरे हाथ पर बैठ जाओ और वही श्लोक पुनः सुनाओ। वह शुक उड़ कर भगवान के हस्तारविन्द पर जा बैठा और उसी श्लोक का पाठ करने लगा।

‘दुरापजनवर्तिनी रतिरपत्रपा भूयसी
गुरुक्तिविषवर्षणैर्मतिरतीव दौस्थ्यंगता।
वपुः परवशं जनुः परमिदं कुलीनान्वये
नजीवति तथापि किं परमदुर्मरोडयं जनः।।’

इतने में ही राधा रानी की सखी उस क्रीड़ा-शुक को खोजती हुई वहीं पहुँच गयी और कहने लगी, ‘हे मधुमंगल हमारी सखी राधा रानी इस अपने शुक के बिना अत्यन्त उदास हो रही हैं। अतः आप कृपया इसे लौटा दें।’ भगवान् श्रीकृष्ण के सखा मधुमंगल ने उत्तर दिया ‘हे सखी! यदि यह तुम्हारा है, तुम्हारे बुलाने से तुम्हारे पास आ जाय तो तुम अवश्य ही ले जा सकती हो।’ उस सखी ने उत्तर दिया कि, ‘हे मधुमंगल! तुम्हारी यह शर्त असंगत है। बाँस की जड़ बाँसुरी भी तो तुम्हारे सखा के हाथ में पहुँच कर उनको छोड़ना नहीं चाहती; यह शुक तो चेतन है; यह क्योंकर तुम्हारे सखा के हस्तारविन्द को छोड़ पायेगा।’ तात्पर्य कि जब जड़ भी भगवान् के मनोहर स्वरूप से मोहित हो जाते हैं तो हम सहृदया योषिताओं की दशा तो निश्चय ही अकथ है।
‘हे सखे! परकीया यां हि प्रीत्यतिशयः’ जैसे आप के प्रश्न का यही उत्तर है कि आप का स्वरूप ही ऐसा मनोमुग्धकारी है कि हम योषिताएँ विवश हो जाती हैं। हमारे इस गर्व का कारण आप का वेणु-वादन ही है। आपके मुखचन्द्र-निःसृत सुमधुर अधर-सुधारस वेणु-छिद्रों में प्रविष्ट होकर वेणु-गीत पीयूष रूप में हमारे निराकरण कर्ण-कुहरों द्वारा हमारे अन्तःकरण में सन्निविष्ट हो गया। आपके इस वेणु-गीत प्रवाह ने हमको बलात् अपनी ओर आकृष्ट कर लिया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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