सच कहती हूँ, श्याम!
ये बेचारे अधिक दिन नहीं चलेंगे।
इनकी अवस्था बड़ी शोचनीय हो गयी है।
ये न रहें और तुम आये तो क्या हुआ?
अब इन्हें अधिक न तरसाओ!
बेचारे बहुत कष्ट पा चुके,
इन दीन, अनाथ, असहाय और अशक्तों पर कृपा करो!
नटवर!
तुम शायद यह सोचते होओगे कि
एक बार इनके सामने होने से ये फिर तुम्हें न छोड़ेंगे,
ये निर्बल ऐसा क्या करेंगे?
देखो, ये मुझसे कह रहे हैं कि
एक बार देखने को मिल जाय, बस!