बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 69

बावरी गोपी -प्रेम भिखारी

12. कुछ न कहना

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ओ हो, आज तो हवारानी मथुरा चलीं।
तनिक इसकी चाल देखो,
इठलाती हुई दूसरों को झकझोरती चलती है।
मानो जाते ही कान्हा इससे लिपट जायँगे और
वृन्दावन का समाचार पूछने लगेंगे!
अरे, मेरा पल्ला क्यों उड़ाये लिये जा रही है?
तू जा,
मैं यहीं भली।
मेरा कहना तो सुनेगी नहीं,
नहीं तो कुछ सीख देती।
बेचारी पर बड़ी दया आ रही है।
कितने उत्साह से जा रही है।

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बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
क्रम संख्या पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
1. कल की बात 1
2. क्या मैं बावरी हूँ? 6
3. मेरी ही भूल थी 11
4. और कूक 18
5. कैसे थे वे दिन? 23
6. कल आयेंगे 29
7. रे भौंरे, मत गूँज 37
8. इस मक्खन का क्या करूँ? 44
9. हाय, यह तो स्वप्न था 52
10. कूबरी, तुझे धिक्कार है 58
11. कूबरी! तू धन्य है 64
12. कुछ न कहना 69
13. मैं भली कि मछली 75
14. कोई तो बताये 83
15. सुनाऊँ किसको मनकी बात 90
16. यह है प्रेम-परिणाम 98
17. यही आशा तो बैरिन हो गयी 105
18. बस, एक झलक 112
19. मैं तो चली पिया की डागरिया 119

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