ओ हो, आज तो हवारानी मथुरा चलीं।
तनिक इसकी चाल देखो,
इठलाती हुई दूसरों को झकझोरती चलती है।
मानो जाते ही कान्हा इससे लिपट जायँगे और
वृन्दावन का समाचार पूछने लगेंगे!
अरे, मेरा पल्ला क्यों उड़ाये लिये जा रही है?
तू जा,
मैं यहीं भली।
मेरा कहना तो सुनेगी नहीं,
नहीं तो कुछ सीख देती।
बेचारी पर बड़ी दया आ रही है।
कितने उत्साह से जा रही है।