"सूरसागर अष्टम स्कन्ध" श्रेणी में पृष्ठ इस श्रेणी में निम्नलिखित 20 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 20 अ अब हौ सब दिसि हेरि रहयौ -सूरदास असुर द्वै हुते बलवंत भारी -सूरदासऐ ऐसी को सकै करि तुम बिन मुरारी -सूरदास ऐसी कौ सकैं करि बिन मुरारी -सूरदासग गज-मोचन ज्यौं भयौ अवतार -सूरदासज जैसैं भयौ कूर्म-अवतार -सूरदास जैसैं भयौ बामन अवतार -सूरदास झ झाई न मिटत न पाई -सूरदासद द्वार ठाढ़े हे द्विज बावन -सूरदासम माघौ जू, गज ग्राह ते छुड़ायौ -सूरदासर राजा इक पंडित पौरि तुम्हारी -सूरदासस सुरनि हित हरि कछप-रूप धान्यौ -सूरदास सुरनि हित हरि कछप-रूप धान्यौ2 -सूरदास सुरनि हित हरि कछप-रूप धान्यौ3 -सूरदास स आगे. स्रु तिनि हित हरि मच्छ रूप धारयौ -सूरदास स्रु तिनि हित हरि मच्छ रूप धारयौ2 -सूरदासह हरवर चक्र धरे हरि धावत -सूरदास हरि कृपा करै जिहिं, जितै सोई -सूरदास हरि चरननि सुकदेव सिर नाइ -सूरदास हरि तुम बलि कौं छलि कहा लीन्यौ -सूरदास