श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
चाचा हित वृन्दावनदास जी
रास के पदों में श्यामा-श्याम के ‘होड़-होड़ी’ नृत्य करने का उल्लेख अनेक महात्माओं ने किया है। सूरदास जी के एक पद में भी यह मिलता है, होड़-होड़ी नृत्य करै रीझि-रीझि अंक भरै, होड़ लगाकर नृत्य करने पर श्यामा-श्याम, स्वभावत:, अपनी श्रेष्ठतम कला का प्रदर्शन करते हैं। इसी बात को व्यंजित करने के लिये सूरदास जी ने अपने पद में ‘होड़-होड़ी नृत्य’ का उल्लेख किया है। चाचा जी ने अपने पद में इस होड़ का नाटकीय शैली में वर्णन करके एक स्वतंत्र और आकर्षक लीला खड़ी कर दी है। इस ढंग के वर्णनों में लीला के प्रत्यक्षीकरण में भी बहुत सहायता मिलती है और यह तो स्पष्ट है कि लीला जितने अंशों में प्रत्यक्ष बनती है उतने ही अंशों में वह आस्वादित होती है। चाचा जी की छद्म-लीलाओं में, जिनका उल्लेख हम पीछे कर चुके हैं, लीला वर्णन की यह कला बहुत विशद रूप में प्रगट हुई है। प्रत्येक छद्म लीला में एक नाटकीय प्रबंध चलता है जिसमें श्यामा-श्यामा की अत्यंत गंभीर प्रीति आकर्षक और सहज गम्य रूपों में प्रकाशित हो जाती है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (सूरदास)
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