श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
चाचा हित वृन्दावनदास जी
'विमुख उद्धारन बेली’ तो पूरी की पूरी विनोदमय है। इसमें एक विरक्त साधु और एक वृद्धा का संवाद है। साधु कहता है- तेरी आई पिछली बिरियां डुकरी राधा कृष्णा कहनौ। इतना सुनते ही ‘डोकरी’ चिढ़ जाती है और अपनी भगवद् विमुखता की पुष्टि उन स्त्री सुलभ वहमों के कथन द्वारा करती है जो स्वाभाविकतया हास्यास्पद हैं। वह साधु को डांटते हुए कहती है, कहा वकत हौ सब जानत हौं अनबोलल्यौई रहनौ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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