श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री कृष्णदास जी भावुक
निरखि सखि सनमुख मृदु मुसकात । हम कह चुके हैं कि श्री ध्रुवदास-काल राधावल्लभीय साहित्य का अत्यन्त समृद्ध काल है। हम ऊपर जिन वाणीकारों का संक्षिप्त परिचय दे चुके हैं, उनके अतिरिक्त बीसियों रसिक महानुभावों की संपूर्ण रचनायें या फुटकर पद प्राप्त हैं। उन में से कुछ वाणी रचयिताओं के नाम नीचे दिये जाते हैं ।श्री सदानन्द गोस्वामी, श्री दामोदरचन्द्र गोस्वामी, श्रीकमल नयन गोस्वामी, श्री सुखलाल गोस्वामी, श्री गुलाब लाल गोस्वामी, श्री रसिकलाल गोस्वामी, श्री जोरीलाल गोस्वामी, श्री व्रजलाल गोस्वामी, श्री गोविन्दलाल गोस्वामी, श्री हरिलाल गोस्वामी, श्री सेवा सखी, श्री चन्द्र सखी, श्री अतिवल्लभ जी, श्री मोहन मत्त जी,[1] श्री परमानन्ददास, श्री मुकुन्दलाल गोस्वामी, श्री कुंजलाल गोस्वामी इत्यादि ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ यह श्री रासदास गोस्वामी के शिष्य थे ओर अठारहवीं शती के पूवर्धि में विद्यमान थे। यह पंजाबी थे और इन्होंने पंजाबी मिश्रित हिन्दी में वाणी रचना की है। इनकी माझे प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी रचनाओं में दृढ़ निष्ठा जनित अक्खड़पन भरा हुआ है। दो माझें नीचे दी जाती हैं।
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