श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री ध्रुवदास काल
चढ़िकै मैन तुरंग पै चलिबौ पावक माहिं । और कौ प्रवेश कहाँ मनहू न भेदी जहाँ, ध्रुवदास जी की बायालीस लीलायें और 103 पद मिलते हैं। इन में ‘वैदक ज्ञान लीला’ ‘मन शिक्षा लीला’ ‘सिद्धान्त विचार लीला’ ‘भक्त नामावली लीला’ आदि भी हैं, जिनमें खींचतान कर भी ‘लीला’ शब्द की संगति नहीं बैठती। कतिपय लीलाओं में रचना-काल दिया हुआ है। रसानंद लीला सं. 1650 मं रची गई है, प्रेमावली लीला सं. 1671 में, सभा मंडल लीला सं. 1681 में और रहस्य मंजरी लीला सं. 1698 में।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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