श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री ध्रुवदास काल
मेघ महल परदा फुँहीं राजत कुंज निकुंज । खेलत रहस्य निकुंज में अतिहि रहसि निजु केलि । तिनहिं देखि आसक्ति हू भूली-ह्वै आसक्त सुरस में झूली ।।[3] |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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