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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
अष्टमं शतकम्
समस्त ऋतुओं के समस्त सद्गुणों युक्त, समस्त उज्ज्वलता को उज्ज्वलता देने वाला, समस्त मधुरों में मधुर समस्त पुरुषार्थ देने वालों में भी महान दानकारी, समस्त, सुगंधित शीतल वस्तुओं से भी अधिकतर सुगन्धित एवं शीतल करने वाला तथा सर्व आनन्दमय पदार्थों को भी चमत्कृति करने वाला महानन्द-समुद्र है- यह श्रीवृन्दावन।।57।।
नित्यानन्द-वश अतिशय वृद्धिशील दिव्य-प्रकाशयुक्त, प्रति स्थान पर दिव्य मनोरम गंध प्रकाश करने वाली एवं नित्यसुन्दर गृहादि महा दिव्य वास-स्थान देने वाली भावगम्य इस श्रीवृन्दावन की भूमि का मैं भजन करता हूँ।।58।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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