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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
अष्टमं शतकम्
इस प्रकार श्रीवृन्दावनेश्वरी के रत्न मय नूपुरों सहित पादपद्म अति रसमस उज्ज्वल व पूर्ण ज्योति से घनीभावात्मिका कोटि-कोटि दासी यूथों का भी अनुसरण कर।।16।।
वे दासीयूथ अपनी-अपनी यूथ नायिकाओं द्वारा शिक्षित आदृत तथा लालित हैं, एवं नाना विध महाश्चर्य कैशोरावस्था से मनोहर है।।17।।
वे नाना प्रकार महाश्चर्यमय वस्त्रों से भूषित हैं, एवं नानाविध महाश्चर्य वर्णों एवं आकृतियों से वेचित्री पूर्ण हैं।।18।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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