विषय सूचीरासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीप्रथम रासक्रीड़ा का उपक्रमएक महात्मा किसी चीज को छिपाना चाहते थे तो उन्होंने एक मुट्ठी धूल उस पर डाल दी। चेले ने देखा तो उस पर एक टोकरी धूल और डाल दी। यह तो ठीक चेला हुआ। और अगर वह गुरुजी की अनुपस्थिति में कुरेदकर देखना शुरू कर देता तो वह गुरु-प्रेमी नहीं है, वह तो खुफिया है। तो देखो, वह चोर की प्रसिद्धि करना एक मुट्ठी धूल पर एक टोकरी धूल डालना हुआ कि नहीं? इसका नाम प्रेम है। खुफियागीरी का नाम प्रेम नहीं होता। एक घर में बहू और उसके पति दोनों बहुत दुःखी थे। क्या दुःखी थे कि अब दोनों रात को कमरे में सोते तो बुड्ढे ससुर उठकर आते और खिड़की में- से झाँकते कि हमारे बहू और बेटे क्या कर रहे हैं। बड़ी लड़ाई हुई घर में! प्रेम का मतलब सीआयीडीपना नहीं है, वहाँ तो एक बार अगर मन में कोई बात खटक गयी, तो हमेशा के लिए खटक जाती है। तो कृष्ण ने कहा- कि हम ईश्वर नहीं है, हम गोप-बालक हैं। गोपियों ने हल्ला किया गाँव में कि चोर-चोर! किसने चोरी की? कि नन्दनन्दन ने। कंस ने कहा- यदि वह हमारा दुश्मन होता तो चोरी थोड़े ही करता? अच्छा, अब देखो दूसरी बात है- गोभिः पिवन्ति ‘गाः पान्ति इति गोपाः वृत्ति-र्गोपा अदाभ्यः’। ऋग्वेद में श्रुति है कि विष्णु का एक नाम गोप भी है। गाः पान्ति भगवान् किससे मिलते हैं कि जो अपनी इंद्रियों को सुरक्षित रखता है, गाः इंद्रियाणि पान्ति संयमी पुरुष से भगवान् मिलते हैं, घड़े में रस भरा हो और घड़े में छेद हो, तो जो अपने रस को बहा देगा, वह भगवान् के सामने क्या जायेगा? हमने बचपन में पढ़ा था कि एक सज्जन मरने के बाद वैकुण्ठ में गये। जब वैकुण्ठ में पहुँचे तो वहाँ फाटक बन्द। अब वह रोयें- हे भगवान्, हमारे लिए फाटक खुले! प्रार्थना करें, नाम लेकर पुकारें, पर फाटक न खुले। जब बहुत व्याकुल हुए तब आकाशवाणी हुई कि भक्तराज, तुम मृत्युलोक से वैकुण्ठ में आये हो तो मेरे लिए कोई गुप्त चीज लाये हो कि सब जूठी चीज लाये हो? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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