योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 131

योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय

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चौंतीसवां अध्याय
क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे?


अवतारों का अभिप्राय महापुरुषों से है


निःसंदेह अवतारों से अभिप्राय यदि ऐसे महापुरुषों से है जिनकी शिक्षा-दीक्षा से, जिनकी जीवन-प्रणाली से दूसरे मनुष्य अपने जीवन को उत्तम बना सकते हैं और इस संसार-रूपी समुद्र से तैरकर पार हो जाते हैं, तो कोई हानि नहीं। इस बात से कौन इन्कार कर सकता है कि संसार में समय-समय पर ऐसे लागों की अत्यन्त आवश्यकता पड़ती है और ऐसे लोग समय-समय पर जन्म भी लेते हैं जिनकी शिक्षा-दीक्षा, आदेश और उपदेशों से तथा जिनके जीवन की पवित्रता से दूसरे लोग लाभ उठाते हैं। जीवन के इस तूफान-भरे समुद्र में भूलों-भटकों और भँवर में पड़ी हुई नावों के लिए वे मल्लाह का काम करते हैं तथा अत्यन्त निराश, हतोत्साही अशान्त और व्याकुल आत्माओं को शान्ति देते हैं। ऐसे लोग संसार की प्रत्येक जाति में उत्पन्न होते हैं और वे उन मुक्त आत्माओं की श्रेणी में से आते हैं जिनको अपनी उच्च आत्मिक शक्ति के कारण दूसरे मनुष्यों की अपेक्षा परमात्मा की निकटता प्राप्त होती है। इनमें अन्यान्य जीवों से अधिक ईश्वरीय शक्तियाँ होती हैं। यह ईश्वरीय शक्ति कितनी ही अधिक क्यों न हो फिर भी ईश्वर-ईश्वर ही है और मनुष्य-मनुष्य ही है। मनुष्य कभी ईश्वर नहीं हो सकता और न आत्मा परमात्मा के पद को प्राप्त हो सकती है।

हमारा विश्वास है कि यह सब पूर्णपुरुष ईश्वर के उस नियम को फैलाने, समझाने और प्रचार करने के लिए जन्म लेते हैं जो ईश्वर ने सृष्टि के आदि में अपने जनों के कल्याण के लिए निज ज्ञान दिया था और जिसे संस्कृत भाषा में वेद कहते हैं। अतः यदि कृष्ण महाराज को इस सिद्धान्त से अवतार कहा जाय तो कोई हानि नहीं।

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योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
ग्रन्थकार लाला लाजपतराय 1
प्रस्तावना 17
भूमिका 22
2. श्रीकृष्णचन्द्र का वंश 50
3. श्रीकृष्ण का जन्म 53
4. बाल्यावस्था : गोकुल ग्राम 57
5. गोकुल से वृन्दावन गमन 61
6. रासलीला का रहस्य 63
7. कृष्ण और बलराम का मथुरा आगमन और कंस-वध 67
8. उग्रसेन का राज्यारोहण और कृष्ण की शिक्षा 69
9. मथुरा पर मगध देश के राजा का जरासंध का आक्रमण 71
10. कृष्ण का विवाह 72
11. श्रीकृष्ण के अन्य युद्ध 73
12. द्रौपदी का स्वयंवर और श्रीकृष्ण की पांडुपुत्रों से भेंट 74
13. कृष्ण की बहन सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह 75
14. खांडवप्रस्थ के वन में अर्जुन और श्रीकृष्ण 77
15. राजसूय यज्ञ 79
16. कृष्ण, अर्जुन और भीम का जरासंध की राजधानी में आगमन 83
17. राजसूय यज्ञ का आरम्भ : महाभारत की भूमिका 86
18. कृष्ण-पाण्डव मिलन 89
19. महाराज विराट के यहाँ पाण्डवों के सहायकों की सभा 90
20. दुर्योधन और अर्जुन का द्वारिका-गमन 93
21. संजय का दौत्य कर्म 94
22. कृष्णचन्द्र का दौत्य कर्म 98
23. कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन 101
24. विदुर और कृष्ण का वार्तालाप 103
25. कृष्ण के दूतत्व का अन्त 109
26. कृष्ण-कर्ण संवाद 111
27. महाभारत का युद्ध 112
28. भीष्म की पराजय 115
29. महाभारत के युद्ध का दूसरा दृश्य : आचार्य द्रोण का सेनापतित्व 118
30. महाभारत के युद्ध का तीसरा दृश्य : कर्ण और अर्जुन का युद्ध 122
31. अन्तिम दृश्य व समाप्ति 123
32. युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 126
33. महाराज श्रीकृष्ण के जीवन का अन्तिम भाग 128
34. क्या कृष्ण परमेश्वर के अवतार थे? 130
35. कृष्ण महाराज की शिक्षा 136
36. अंतिम पृष्ठ 151

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