अवतार का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ईश्वर का पृथ्वी पर अवतरण[1] अथवा उतरना ही 'अवतार' कहलाता है।
- 'मत्स्य', 'कच्छप', 'वराह' एवं 'नृसिंह' ये चार अवतार भगवान विष्णु के प्रारम्भिक रूप के प्रतीक हैं।
- भगवान विष्णु ने अपने पाँचवें अवतार 'वामन' रूप में विश्व को तीन पगों में ही नाप लिया था। इसकी प्रशंसा ऋग्वेद एवं ब्राह्मण ग्रंथों में की गई है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जन्म लेना