विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दअष्टदश अध्याययत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। राजन्! जहाँ योगेश्वर श्रीकृष्ण और धनुर्धर अर्जुन (ध्यान ही धनुष है, इन्द्रियों की दृढ़ता ही गाण्डीव है अर्थात् स्थिरता के साथ ध्यान धरनेवाला महात्मा अर्जुन) हैं, वहीं पर ‘श्रीः’-ऐश्वर्य, विजय-जिसके पीछे हार नहीं है, ईश्वरीय विभूति और चल संसार में अचल रहने वाली नीति है, ऐसा मेरा मत है।
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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