विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दअष्टदश अध्यायइस प्रकार अर्जुन प्रश्न करता गया। जो वह नहीं कर सकता था उन गोपनीय रहस्यों को भगवान् ने स्वयं दर्शाया। इनका समाधान होते ही वह प्रश्नों से विरत हो गया और बोला- गोविन्द! अब मैं आपकी आज्ञा का पालन करूँगा। वस्तुतः ये प्रश्न मानवमात्र के लिये हैं। इन सभी प्रश्नों के समाधान के बिना कोई भी साधक श्रेय-पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता। अतः सद्गुरु के आदेश का पालन करने के लिये, श्रेय-पथ पर अग्रसर होने के लिये सम्पूर्ण गीता का श्रवण अति आवश्यक है। अर्जुन का समाधान हो गया। साथ ही योगेश्वर श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निःसृत वाणी का उपसंहार हुआ। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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