विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दअष्टदश अध्यायवह अध्यात्म क्या है? अधिदैव, अधिभूत क्या है? इस शरीर में अधियज्ञ कौन है? वह कर्म क्या है? अन्त समय में आप किस प्रकार जानने में आते हैं? सात प्रश्न किये अध्याय 10/17 में अर्जुन ने जिज्ञासा की कि-निरन्तर चिन्तन करता हुआ मैं किन-किन भावों द्वारा आपका स्मरण करूँ? 11/4 में उसने निवेदन किया कि-जिन विभूतियों का आपने वर्णन किया उन्हें मैं प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ। 12/1-जो अनन्य श्रद्धा से लगे हुए भक्तजन भली प्रकार आपकी उपासना करते हैं और दूसरे जो अक्षर अव्यक्त की उपासना करते हैं, इन दोनों में उत्तम योगवेत्ता कौन है? 14/21-तीनों गुणों से अतीत हुआ पुरुष किन लक्षणों से युक्त होता है तथा मनुष्य किस उपाय से इन तीनों गुणों से अतीत होता है? 17/1-जो मनुष्य उपरोक्त शास्त्रविधि को त्यागकर किन्तु श्रद्धा से युक्त होकर यजन करते हैं उनकी कौन-सी गति होती है? और 18/1 हे महाबाहो! मैं त्याग और सन्यास के यथार्थ स्वरूप को पृथक्-पृथक् जानना चाहता हूँ। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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