विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दअष्टदश अध्यायइस प्रकार गीता में अर्जुन ने योगेश्वर श्रीकृष्ण के समक्ष प्रश्न-परिप्रश्नों की श्रृंखला खड़ी कर दी। जैसे-अध्याय 2/7-वह साधन मेरे प्रति कहिये जिससे मैं परमश्रेय को प्राप्त हो जाऊँ? 2/54-स्थितप्रज्ञ महापुरुष के लक्षण क्या हैं? 3/1-जब आपकी दृष्टि में ज्ञानयोग श्रेष्ठ है तो मुझे भयंकर कर्मों में क्यों लगाते हैं? 3/36 मनुष्य न चाहता हुआ भी किसकी प्रेरणा से पाप का आचरण करता है? 4/4- आपका जन्म तो अब हुआ है और सूर्य का जन्म बहुत पुराना है, तो मैं यह कैसे मान लूँ कि कल्प के आदि में इस योग को आपने सूर्य के प्रति कहा था? 5/1- कभी आप सन्यास की प्रशंसा करते हैं तो कभी निष्काम कर्म की। इनमें से एक निश्चय करके कहिये जिससे मैं परमश्रेय को प्राप्त कर लूँ? 6/35- मन चंचल है, फिर शिथिल प्रयत्नवाला श्रद्धावान् पुरुष आपको न प्राप्त होकर किस दुर्गति को प्राप्त होता है? 8/1-2 गोविन्द! जिसका आपने वर्णन किया, वह ब्रह्म क्या है? |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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