विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दअष्टदश अध्यायइति ते ज्ञानमाख्यातं गुह्याद्गुह्यतरं मया। इस प्रकार बस इतना ही गोपनीय से भी अतिगोपनीय ज्ञान मैंने तेरे लिये कहा है। इस विधि से सम्पूर्ण रूप से विचार कर; फिर तू जैसा चाहता है वैसा कर। सत्य ही है, शोध की स्थली यही है, प्राप्ति की स्थली भी यही है। किन्तु हृदयस्थित ईश्वर दिखायी नहीं देता, इस पर उपाय बताते हैं- |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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