विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दअष्टदश अध्यायईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति। अर्जुन! वह ईश्वर सम्पूर्ण भूतप्राणियों के हृदय-देश में निवास करता है। इतना समीप है तो लोग जानते क्यों नहीं? मायारूपी यन्त्र में आरूढ़ होकर सबलोग भ्रमवश चक्कर लगाते ही रहते हैं, इसलिये नहीं जानते। यह यन्त्र बड़ा बाधक है, जो बार-बार नश्वर कलेवरों (शरीरों) में घुमाता रहता है। तो शरण किसकी लें?- |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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