बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
3. मेरी ही भूल थी
तुम चंचल नेत्रों को इधर-उधर घुमाते हुए वंशी बजा रहे थे, |
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तुम चंचल नेत्रों को इधर-उधर घुमाते हुए वंशी बजा रहे थे, |
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