गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 539

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 19

अनन्तकोटि ब्रह्माण्डनायक, सर्वाधिष्ठान, स्वप्रकाश, सर्वेश्वर, परात्पर परब्रह्म परमेश्वर जो गणपति है, जो ‘प्रियाणां पति’ है वही अपनी जाया सत्त्व-रज-तम की साम्यावस्था जड़ प्रकृति में गर्भाधान करता है। ‘गर्भधं’ ही बिम्ब हैं जैसे बिम्ब ही दर्पणादिक में प्रतिबिम्ब का आधान करता है वैसे ही भगवान् भी प्रकृतिरूपी दर्पण में अपने बिम्ब का, तेजस् का आधान करते हैं एतावता गर्भज प्रतिबिम्ब भी भगवत्-स्वरूप ‘सोऽहं’ ही है। ‘अजामि हृदये स्थापयामि’ उसको हम अपने हृदय में धारण करते हैं। अस्तु, सर्वतोभावेन यही सिद्ध होता है कि साक्षात् मन्मथ-मन्मथ ही मूल काम है एवं अन्य सम्पूर्ण काम उसका अंश है। तत्-तत् स्त्री-पुरुषों में रहने वाला व्यष्टिरूप मन्मथ उस साक्षात् मन्मथ-मन्मथ का ही विकृत रूप अथवा अंश मात्र है। ‘कामस्तु वासुदेवांशः[1] काम भगवान् वासुदेव का ही अंश है। श्रीमद्भागवत के अनुसार प्रद्युम्न काम का अवतार है। भगवान् शंकर द्वारा काम को दग्ध दिए जाने पर काम-पत्नी रति ने भगवान् शंकर की आराधना की।

संतुष्ट होकर भूत-भावन विश्वनाथ ने रति को वरदान दिया कि द्वापर युग में भगवान् श्री कृष्णचन्द्र परमानन्दकन्द के अंश से प्रद्युम्न के रूप् में काम पुनः प्रकट होंगे। प्रद्युम्न द्वारा शंबरासुर का वध होने का विधान था। अतः द्वेषवश शंबरासुर ने सद्यःजात बालक प्रद्युम्न को चुराकर समुद्र में फेंक दिया। समुद्र में एक मछली बालक को निगल गई। काल-क्रमेण वह मछली जालिक के जाल में फँसकर अन्ततोगत्वा शंबरासुर के ही भोजनागार में पहुँची। मछली के काटे जाने पर उसके पेट से एक अत्यन्त सुन्दर बालक निकला। रति ने उसका लालन-पलन किया।

महर्षि नारद की प्रेरणा से काम पत्नी रति, अपने पति को पुनः पाने की इच्छा से शंबरासुर के भोजनागार की देख-रेख किया करती थी। समय पाकर बालक प्रद्युम्न यौवन को प्राप्त हुए। उन्होंने शंबरासुर का वध किया और रति को लेकर लौटे। भगवान् शंकर के वरदान से श्री कृष्णचन्द्र परमानन्दकन्द के अंश से काम प्रद्युम्न-स्वरूप् में पुनः प्रादुर्भूत हुए। तात्पर्य कि काम कामयितृत्व कामयिता से भिन्न नहीं अपितु उसका अंश ही है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री० भाग० 10/55/1

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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