गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 451

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 16

‘इन्द्रो यातो वसि तस्य राजा’[1]
‘वरुणः प्राविता मुवन्यित्रो विश्वाभिरूतिभिः’[2]

इत्यादि श्रुतियाँ पहले अपना सम्बन्ध इन्द्र, वरुणादि देवताओं से रखती हैं; उनके प्रतिपाद्य देवता अग्नि, वरूण, अग्निमोडे, पुरोहित आदि हैं ‘अतः ये श्रुतियाँ अन्य-पूर्विका हैं। गोपांगना-उपलक्षित अन्य-पूर्विका श्रुतियाँ कह रही हैं, हे अच्युत! हम लोगों का लौकिक अर्थ ही हमारे लिये पति-पुत्र, स्थानीय हैं।

इन्द्रबोधिका श्रुति का अर्थ इन्द्र, अग्निबोधिका श्रुति का अर्थ अग्नि, वरुण, बोधिका श्रुति का अर्थ वरुण आदि अनेकानेक श्रुतियों के तत् तत् देवता ही उनके पति-पुत्र स्थानीय, लौकिक अर्थ हैं। इनमें से कोई अर्थ अभिधावृत्ति का, कोई लक्ष्णावृत्ति का एवं कोई व्यंजनावृत्ति का गोचर है। भिन्न-भिन्न वृत्तियों के गोचर अर्थ उनके ‘पतिसुतान्वयभ्रातृबान्धवान् हैं। उन सबका अतिलंघन कर, परित्याग कर, हे अच्युत! हम आपके सन्निधन में चली आई हैं। तात्पर्य कि परम तात्पर्य आप में ही बोधन करती हुई हम आपकी ही शरण ग्रहण करती हैं। जिस समय तत्त्व-बोध होता है उस समय ज्ञानी को ऐसा भान होता है कि सब श्रुतियाँ ब्रह्मा का ही बोधन करती हैं।

'सर्वे वेदा यत्पदमामनन्ति'[3]

सब वेद उसी ब्रह्म परमात्मा पद का निरूपण करते हैं; सब वेदों के द्वारा एकमात्र वेद्य भगवान् ही हैं; इत्यादि मंत्रों के अनुसार जिन लोगों को उपक्रमोपसंहारादि षड्विध से यह पूर्ण विज्ञान हो गया है कि सभी श्रुतियों का महातात्पर्य परब्रह्म में ही है; इन्द्र, वरूण, अग्नि आदि प्रतिपादक श्रुतियों का भी अवान्तर तात्पर्य इन्द्र, अग्नि, वरूण आदि विभिन्न देवाताओं में होते हुए भी महातात्पर्य परब्रह्म परमेश्वर में ही है, उन विद्वत जनों पर कृपा कर दर्शन दें।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऋग्वेद 1/32/15
  2. वही 1/23/6 यजु० 33/46
  3. कछो० 2/15

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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