गोपी गीत -करपात्री महाराज पृ. 444

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गोपी गीत -करपात्री महाराज

गोपी गीत 16

‘कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मकणि च कर्म यः।
स बुद्धिमान् मनुयेषु स युक्तः कुत्स्नकमंकृत्।।’[1]

अर्थात सामान्यतः कोई भी व्यक्ति सर्व कर्म नहीं कर सकता, उदाहरणत‘ यदि कोई ब्राह्मण है वह क्षत्रिय-कर्म नहीं कर सकता, क्षत्रिय है तो ब्राह्म्ण-कर्म नहीं कर सकता। तात्पर्य कि प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने वर्णाश्रम धर्मं, जाति-कुल आदि की विभिन्न मर्यादाओं से बँधा है। एकमात्र आपकी सर्वकर्म–कृत ज्ञान–विज्ञान की ही स्थिति ऐसी है जिसमें प्राणी सर्व–कर्म–कृत हो सकता है’ वही युक्त है। छान्दोग्य उपनिषद् का कथन है’

‘कृताय विजिताय कृतजाय कृंतसंज्ञकः अयः द्यूतभागः जितः येन सः कृतायः।
कृतायो विजितः येनासौ कृतायविजितः। तस्मै। यथा कृताय विजितायाधरेयाः संयन्ति।’[2]

अर्थात् जैसे कोई द्यूत करता है; द्यूत में कलियुग, द्वापर पर दो, त्रेता और कृत-युग चार स्थान होते हैं। कलियुग पर एक अंक, द्वापर पर दो, त्रेता पर तीन और कुतयुग पर चार अंक होते हैं; कुल मिलाकर दस अंक हुए; जिसका पासा कृतयुग पर पड़ गया उसको दस अंकों का लाभ होता है। जिसने कृतसंज्ञक द्यूत को जीत लिया उसको कलि, द्वापर, श्रेतासंज्ञक द्यूत का भी फल मिल जाता है। यह उक्ति ‘सम्वर्ग’ विद्या के प्रसंग में की गई है। इस उक्ति का तात्पर्य है कि जो ‘सम्वर्ग विद्या’ को जान लेता है वह अन्य सम्पूर्ण ज्ञातव्य को जान लेता है। ‘सम्वर्ग’ विद्या ही प्राणविद्या है; इसके अन्तर्गत प्राण की उपासना की जाती है। अपर ब्रह्म ही प्राण है। ‘सम्वर्ग’ विद्या विशिष्ट महत्त्वमयी है एतावता ही राजा जानश्रुति पर अनुग्रह करने हेतु ऋषियों ने हंसरूप धारण कर सयुग्वा रैक्व से ‘सम्वर्ग’ विद्या ग्रहण करने के लिये प्रेरित किया।[3]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री मद् गीता 4/18
  2. छा० 4/1/4
  3. पूर्व प्रसंग में 7वे श्लोक में राजा जानश्रुति एवं सयुग्वा रैक्व की कथा विस्तार-पूर्वक कही जा चुकी है।

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गोपी गीत
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. भूमिका 1
2. प्रवेशिका 21
3. गोपी गीत 1 23
4 गोपी गीत 2 63
5. गोपी गीत 3 125
6. गोपी गीत 4 154
7. गोपी गीत 5 185
8. गोपी गीत 6 213
9. गोपी गीत 7 256
10. गोपी गीत 8 271
11. गोपी गीत 9 292
12. गोपी गीत 10 304
13. गोपी गीत 11 319
14. गोपी गीत 12 336
15. गोपी गीत 13 364
16. गोपी गीत 14 389
17. गोपी गीत 15 391
18. गोपी गीत 16 412
19. गोपी गीत 17 454
20. गोपी गीत 18 499
21. गोपी गीत 19 537

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